राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
रक्षा ऑफसेट नीति क्या है?
राफेल सौदा 50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज के साथ आया है
ऑफसेट पर 30,000 करोड़ रुपये

डेसोल्ट रिलायंस एरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल)
- मिहान में धीरुभाई अंबानी एयरोस्पेस पार्क के भीतर स्थित डीआरएएल सुविधा घटकों का निर्माण करेगी, जिसमें ऑफसेट दायित्वों से संबंधित सामग्री भी शामिल है।
- मिहान नागपुर हवाई अड्डे के बगल में एक एरोपार्क है। यह सुविधा लिगेसी फाल्कन 2000 श्रृंखला के सिविल जेट के लिए घटकों का निर्माण भी करेगी। डीआरएएल भारत में राफेल जेट का उत्पादन नहीं करेगा।
राफेल ऑफसेट
ऑफसेट समझौते के तहत, फ्रांसीसी पक्ष ने सैन्य एयरोस्पेस अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों के लिए 30 प्रतिशत ऑफसेट प्रतिबद्धता और बाकी 20 प्रतिशत राफेल्स के घटक बनाने के लिए यहां किया है।
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला
- सुप्रीम कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच राफेल जेट सौदे के लिए सरकार के फैसले के बाद सफाई दी है
- राफेल फैसला सुनाते हुए, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच- मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने “निर्णय लेने की प्रक्रिया, मूल्य निर्धारण और ऑफसेट” से संबंधित चिंताओं के तीन क्षेत्रों पर याचिकाएं खारिज कर दीं।
- सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई अवसर नहीं है।
- चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की आवश्यकता है और देश इन जेट विमानों के बिना नहीं रह सकता है।
- विमान की जरूरत और गुणवत्ता मे संदेह नहीं होने पर मूल्य निर्धारण के तुलनात्मक विवरण से निपटना अदालत का काम नहीं है।
- खरीद, मूल्य निर्धारण और ऑफसेट साझेदार के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने के लिए कोई पर्याप्त मामला नहीं है।
- यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि सौदा मे वाणिज्यिक पक्षपात है।
- डसॉल्ट एविएशन द्वारा भारतीय ऑफसेट भागीदारों के चयन में कोई गलत काम नहीं।
- पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद ही राफेल सौदे पर सवाल उठे, जो न्यायिक समीक्षा का आधार नहीं हो सकते।
- 36 या 126 फाइटर जेट खरीदने का फैसला सरकार का है, सरकार को मजबूर नहीं किया जा सकता।